कई क़िताबें ले आती हूँ, पर उनमे से कई पढ़ नहीं पाती... समय का अभाव, व्यस्तता और पाठ्य पुस्तकों से अवकाश ले कर ही मुड़ा जा सकता है इनकी ओर...!
दो दिन पूर्व लाइब्रेरी से यह (Please look after mother/Kyung-Sook Shin) पुस्तक लायी और आरम्भ किया तो पढ़ भी गयी कुछ घंटों में...; यह एक कोरियन उपन्यास है... कहानी एक माँ के इर्द गिर्द घूमती है, उसका जीवन, उसकी त्याग तपस्या, उसकी अहमियत सब एक दिन उसके खो जाने के बाद रेखंकित होते हैं परिवार के सदस्यों की यादों में..., वह अपने पति और पांच बच्चों के जीवन का अहम हिस्सा रही पर कोई उसे उसके रहते समझ नहीं पाया... एक दिन स्टेशन पर उसका खो जाना और उसे ढूँढने के लिए किये गए असफल उपक्रमों के बीच बढ़ती हुई कहानी सभी परिवारजनों को खालीपन से भर जाती है; अपनी कृतघ्नता का अहसास प्रबलता से महसूस करते हैं सभी. उनकी स्मृतियों से बनती जाती है माँ की तस्वीर, उसके रहते उसके बारे में जो नहीं सोचा समझा वह सब सोचने, समझने, करने को उत्कट हैं सभी पर माँ है कि खो चुकी है...! पढ़ते हुए महसूस होता है जैसे यह सांकेतिक रूप से हर माँ की कथा है..., अनचीन्हा ही रह जाता है उसका अस्तित्व; वह इस तरह प्रस्तुत रहती है हमारे लिए कि उसके होने की महत्ता हम आजीवन नहीं जान पाते...!
माँ ही क्यूँ, ये तो स्वभावतः हर तत्व, हर रिश्ते के साथ होता है... हम जीवन को भी तो बस काटते चले जाते हैं, जीने के महत्त्व से अनभिज्ञ; जब खोने को होता है सबकुछ तब एहसास होता है कि यूँ ही गँवा दिया जिसे, वह जीवन कितना अनमोल था, कितना सुगढ़ सुन्दर हो सकता था हमारी ज़रा सी पहल से!
खो देने पर ही क्यूँ एहसास हो किसी के महत्त्व का... चाहे वह समय हो, रिश्ते हों या व्यक्ति विशेष हो...? कितना कुछ है जिसके लिए प्रतिपल हमें आभारी होना चाहिए, मात्र वाणी से ही नहीं, अपनी संवेदनशीलता और अपने कर्मों से भी... इस बात का आभास रहेगा तो व्यक्त भी होगा, व्यस्त जीवन की कुछ घड़ियाँ अनायास समर्पित भी होंगी... प्रकृति को, समाज को, परिवार को और यही घड़ियाँ जीवन का असल हासिल होंगी!
समय रहते मूल्य पहचानना सीखें हम, तभी मिल सकेगा हमारे ज़िन्दा होने का प्रमाण!
बढ़िया प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंबधाई ||
समय रहते मूल्य पहचानना सीखें हम, तभी मिल सकेगा हमारे ज़िन्दा होने का प्रमाण…………सच कहा
जवाब देंहटाएंgratitude for the things and people in our lives is so important... yet its very hard to implement...
जवाब देंहटाएंtaking things/people for granted is common place...
After reading this I am inclined to read this book..
Nice read !!
बहुत हीं सार्थक...वक़्त रहते रिश्तों का मोल पहचानना हीं वास्तव में जिंदगी का आभास करता है....
जवाब देंहटाएंखो देने पर ही क्यूँ एहसास हो किसी के महत्त्व का... चाहे वह समय हो, रिश्ते हों या व्यक्ति विशेष हो...?
जवाब देंहटाएंसमय रहते मूल्य पहचानना सीखें हम, तभी मिल सकेगा हमारे ज़िन्दा होने का प्रमाण!
आज के जीवन की आपाधापी में हम खोने के बाद ही कुछ सीख पाते हैं...!
प्रेरणादायक....!
जीने के महत्त्व से अनभिज्ञ; जब खोने को होता है सबकुछ तब एहसास होता है कि यूँ ही गँवा दिया जिसे, वह जीवन कितना अनमोल था, कितना सुगढ़ सुन्दर हो सकता था हमारी ज़रा सी पहल से!
जवाब देंहटाएंनिश्चय ही पुस्तक रोचक रही होगी .... बहुत अच्छी पोस्ट
सुन्दर एहसास ...
जवाब देंहटाएंsamay ke kami sabko khalti hain
जवाब देंहटाएंnischit hi badiya kitab udelit karti hain
bahut badiya prastuti..
खोने के बाद भी कभी कभी ये एहसास तभी होता है जब कोई कराता है ,...
जवाब देंहटाएंSundar ewam saarthak chintan.
जवाब देंहटाएं............
ये है- प्रसन्न यंत्र!
बीमार कर देते हैं खूबसूरत चेहरे...
chintan aapka sahi hai .shubh-kamnaye
जवाब देंहटाएंवाकई .....
जवाब देंहटाएंbilkul sahi kaha hai aapne..
जवाब देंहटाएंहम जीवन को भी तो बस काटते चले जाते हैं, जीने के महत्त्व से अनभिज्ञ; जब खोने को होता है सबकुछ तब एहसास होता है कि यूँ ही गँवा दिया जिसे, वह जीवन कितना अनमोल था, कितना सुगढ़ सुन्दर हो सकता था हमारी ज़रा सी पहल से!
जवाब देंहटाएंअक्सर ऐसा ही होता है जीते जी हम अपनी आँखें बंद किए रहते है अपनी जिम्मेदारियों से भागते है और जाने के बाद अहसास होता है हमने क्या खोया।जरूरी है हम सब के लिए आत्म मंथन समय रहते ।
samay rahte bhawanaon ka pratiuttar dena sikh jayen to awasad se paschtap se bahar nikal sakte hain.
जवाब देंहटाएंsundar jaankari..share karne ke liye bahut abhaar.
जवाब देंहटाएंवाकई में ..
जवाब देंहटाएंमंगलकामनाएं आपको !