कहीं कुछ भी नहीं... न आहटें, न आवाज़ें... बस एक खिड़की और खिड़की पर पड़ी बारिश की बूँदें... बादलों से पटा अम्बर, दूर दूर तक ख़ामोशी और ख़ामोशी में सुनायी पड़ती बरसती बूंदों की अनमनी दस्तक। कई दिनों बाद ऐसे फुर्सत के क्षण हैं, ऐसी बारिश है और खिड़की पर बैठा मन है…
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लिखने के भी मौसम होते हैं, अपना बहुत सारा साथ चाहिए होता है, कहीं अन्दर पैठना पड़ता है, कुछ भीतरी बाहरी बातों की डोर आपस में टकराती है और उनमें कहीं कोई सामंजस्य की सम्भावना बनती है तब घटित होता है लेखन…
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बस कांच पर पड़ी बूंदों को देख रहे हैं, कुछ सोच रहे हैं और बहुत दिनों बाद नीले अम्बर पर कुछ लिख रहे हैं... कुछ एक ऐसे क्षणों को याद रह जाना चाहिए न। कैमरा जैसे किसी क्षण को तस्वीरों में कैद कर लेता है वैसे ही शब्दों में भी पलों को संजो लेने की अपार क्षमता होती है… शायद तस्वीरों से कहीं अधिक। तभी तो आज अपने ही लिखे पुराने शब्दों को पढ़ कर कितनी ही बातें, कितनी ही मनः स्थितियां जीवंत हो उठीं। लिख दे रहे हैं यह बात यहाँ पर… पढ़ेगा, तो नीला अम्बर आश्वस्त होगा, कि हम उसे भूले नहीं हैं, बस उलझे रहे सो आना नहीं हुआ इधर। वैसे वो तो पहले से ही जानता है... उसे कोई शिकायत भी नहीं है!
काश! सारे रिश्ते भी ऐसे होते, ज़िन्दगी भी ऐसी ही होती, कोई सवाल जवाब नहीं होते, चुपके से आया जाया जा सकता, जब चाहते अवकाश ले लेते, जब मन होता आ जाते काम पर वापस...
पर, जो जैसा है अच्छा है... ज़िन्दगी जैसी है अच्छी है… जैसी नज़र आती है उससे कहीं अधिक रहस्यमयी मगर फिर भी अच्छी...! वह एक ऐसी खिड़की है जो अनंत की ओर खुलती है, ये हम पर है कि झांकें उसके पार और जो चाहें थाह लें... दिव्य से दिव्यतम मोड़ हैं... जो चाहें वो राह लें!
:) :)
जवाब देंहटाएं:)
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 18/07/2013 के चर्चा मंच पर है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें
धन्यवाद
ये हम पर है कि झांकें उसके पार और जो चाहें थाह लें...
जवाब देंहटाएंदिव्य से दिव्यतम मोड़ हैं... जो चाहें वो राह लें!
कई बार हम खिडकी से बाहर झांकना भूल जाते हैंऔर जिंदगी कैद सी लगने लगती है ।
खूबसूरत लेखन ।
सुंदर भाव...
जवाब देंहटाएंएक नजर इधर भी...
यही तोसंसार है...
जीवन तो गतिशील है...जीवन का यही रूप है...
जवाब देंहटाएंसुंदर...
वाह... उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति ।।।
जवाब देंहटाएंगहन सोच का खूबसूरत टुकडा .......
जवाब देंहटाएंलाजवाब ....!!
सुंदर.
जवाब देंहटाएंलेखन में बहुत नवीनता है ...
जवाब देंहटाएंजीवन की अनकही मनोदशा को व्यक्त करती गहन अनुभूति
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट प्रस्तुति
बधाई
आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों
केक्ट्स में तभी तो खिलेंगे--------
adbhoot di
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