बुधवार, 28 मार्च 2012

समय की दास्तान और कविताओं की कहानी!


हर कविता की एक कहानी होती है... कई बार समझ से परे... अवचेतन मन की किसी गुत्थी को सुलझाने के लिए लिखी गयी या फिर किसी ऐसे विम्ब को जीवित करने हेतु लिखी गयी जो समय की धारा में खो जाने वाला है एक निहित प्रक्रिया के तहत; अब ये विम्ब किसी एक क्षण का भी हो सकता है... किसी व्यक्ति का या फिर समूह का या फिर चेतना के धरातल पर उगने वाली प्राकृत कलियों का!
हम भी कवितायेँ लिखते रहे हैं... यूँ ही अनायास... शिल्प के लिहाज़ से कमज़ोर कवितायेँ, बकवास कवितायेँ... लेकिन भाव के धरातल पर पूर्ण रूप से सच्ची, सरल एवं सहज! अनुशील पर दो वर्ष से लिखते हुए सहेजा है बहुत कुछ, अब मन है कुछ कहानियां सहेजने का... कविताओं की कहानी!
तो शुरू करते हैं... नीले अंबर तले एक और सफ़र... कविताओं के पीछे की कहानी उकेरने का सफ़र! शायद इसी प्रयास में सभी कविताओं से पुनः गुज़रते हुए पुनर्पाठ के साथ कुछ आवश्यक सुधार भी हो जाएँ... कविताओं को तराशने का हुनर आ जाये हमें अनायास ही... जैसे अनायास बह जाती है कविता!
काश...

6 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया विचार ।
    शुभकामनायें

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  2. kuch alag hi ahsaas hai aapka ... lekin behad sunder prayas hai aapka ... aapke is prayas aur vichar ke liye meri dhero shubhkamnaye ...

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  3. आप मन के हर भाव लिखती रहें ...हम आपके पीछे पीछे हैं ...पढ़ते रहेंगे ...मिल ही जाता है अपने लिए भी कुछ न कुछ ...
    बहुत शुभकामनायें ....!!

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  4. हम भी तैयार हैं...बहने के लिए....
    शुभकामनाएँ अनुपमा.
    अनु

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  5. आपकी बात से इतेफ़ाक रखती हूँ .........नई यात्रा के लिए शुभकामनायें !

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