बुधवार, 21 अगस्त 2013

एक कविता याद आती है!


जीवन कितना सुन्दर है… कितने सुन्दर हैं लोग… और कितनी सुन्दर होती थीं वे राखियाँ जो स्कूल ऑफ़ होप के बच्चे बनाते थे…! याद है हमें ये मौसम आता था, रक्षा बंधन की धूम होती थी तब हमारे स्कूल में स्कूल ऑफ़ होप से बन कर आई राखियाँ बिकती थीं, हम सभी खरीदते ही थे! आज रक्षा बंधन पर हमें वे राखियाँ याद हो आयीं! स्कूल ऑफ़ होप में मुस्कुराती ज़िन्दगी को सलाम!
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एक कविता भी याद आती है… उन दिनों की, हमारी कोर्स बुक में हुआ करती थी: :

The Feather of Dawn

Beloved I offer to you
In tender allegiance anew
A bracelet of floss, let me twist
And violet, to girdle your wrist.

Accept this bright gage from my hand
Let you heart its sweet speech understand
The ancient high symbol and end
In wrought on each gold-threaded strand,
The fealty of friend unto friend.

A garland how frail of design,
Our spirits to clasp and entwine
In devotion unstained and unbroken,
How slender a circle and sign
Of secret deep pledges unspoken!

- Sarojini Naidu 

कितना दोहराते थे न हम कविताओं को उन दिनों परीक्षा की दृष्टि से! उसके अर्थ, उसकी व्याख्या, पंक्तियाँ और पंक्तियों के बीच का मौन सब बोलता था. कितने मन से पढ़ाई गयी थी वे कवितायेँ हमारे टीचर्स द्वारा, उस वक़्त कहाँ था यह एहसास हमें! आज भी याद हैं कवितायेँ, कहानियां भले और पाठ भूल गए हों इतिहास भूगोल व विज्ञान के!
साहित्य, कविता, कथा: ये सब मन में बसते हैं… मन से ही पढ़े जाते हैं, तभी तो याद रह जाते हैं! जिस भी क्षेत्र से जुड़े लोग हों साहित्य के प्रति एक सहज अनुराग होना ही चहिये… इन फैक्ट, होता ही है!
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तस्वीर: धागे में गुथे मोती इस रिश्ते का सौन्दर्य दर्शाते हैं और सरोजिनी जी की कविता में वर्णित  A garland how frail of design को भी सत्यापित करते हैं… secret deep pledges unspoken को पढ़ लेने की संवेदनशीलता हममें हो, यही कहता है धागा!

10 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर संस्मरण .........ऐसी ही यादों से जीवन को अमृत जल मिलता रहता है |रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनायें |

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  2. सुन्दर ,सरल और प्रभाबशाली रचना। बधाई। कभी यहाँ भी पधारें।
    सादर मदन
    http://saxenamadanmohan1969.blogspot.in/
    http://saxenamadanmohan.blogspot.in/

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  3. कल 22/08/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

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  4. सुन्दर कविता , सुन्दर बोल..... पढाई के उन दिनों की बात ही कुछ और है .

    दिल से बधाई स्वीकार करे.

    विजय कुमार
    मेरे कहानी का ब्लॉग है : storiesbyvijay.blogspot.com

    मेरी कविताओ का ब्लॉग है : poemsofvijay.blogspot.com

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  5. सुंदर...पुरानी यादें ताजा कर दी आपने।।

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  6. गुदगुदाती सहलाती पुरानी यादें ....!!!!

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  7. वाह आपने तो कमाल कर दिया .... !
    अब तक याद है आपको ये कविता .....?

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  8. बहुत सुन्दर अनुपमा जी.बीते लम्हात को बखूबी शब्दों में पिरोया है. मेरी प्रिय लेखिका शिवानी के संस्मरणों की याद आ जाती है,इन्हें पढ़ कर .

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